Friday 14 August 2015

गाओ सपने













सावधान
खुला छोड़ दो हमारे हिस्से का आसमान
हम आ रहे हैं 
गाने को 
अंधेरों का शोकगीत 
और करने मुनादी 
कि उन्हें पहुँचा दिया है उनके अंजाम तक 
नहीं डरेंगे अब  
कि दुखों के पेड़ से उतर कर बेताल 
आ बैठेगा फिर फिर हमारे कन्धों पर 
अब हम 
ओढ़ कर धूप 
खेलेंगे खुशी 
 गाएंगे सपने 
 नाचेंगे ज़िंदगी ज़िंदगी ज़िंदगी
                                                                                     

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