इंतज़ार
-------------
कुछ सूखे सूखे से हैं पत्ते
और झुकी झुकी सी डालियाँ
कुछ रूकी रुकी सी है हवा
और बहके बहके से कदम
कुछ मद्धम मद्धम सा है सूरज
और सूना सूना सा दिन
कुछ फीका फीका सा है चाँद
और धुंधली धुंधली सी रात
कुछ खाली खाली सी है शाम
और खोया खोया सा दिल
क्यों रोए रोए हैं ये सब
क्या कहीं खोया है मेरा सनम
---------------------------------
अक्सर ये इंतज़ार इतना मुश्किल क्यूँ होता है
No comments:
Post a Comment