Sunday 23 July 2017

इस बरसात





3. 
इस बरसात
तेरी याद
आँखों से बरसी बन
कतरा कतरा।

4.
इस बरसात
तेरी याद में 
इतनी बरसी आँखें
कि बेवफाई से लगे
जख्मोँ के समंदर भी
छोटे लगने लगे।  

5. 
ये सावन 
तेरी यादों का ही तो घर है 
यहां अक्सर वे बादलों की तरह घुमड़ती हैं 
और बिछोह की अकुलाहट की उष्मा से 
पिघल पिघल 
बूँद बूँद बरसती है।  

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Saturday 22 July 2017

ये दिल

ये दिल


अक्सर 
तुम्हारे 
अहसासों की मखमली दूब पर
विचरते हुए
आँखों से फैले उम्मीद के नूर में 
मासूम खिलखिलाहट से निसृत राग भूपाली 
सुनते हुए 
होठों से झर कर 
यहां वहां बिखरे शब्दों के 
रेशमी सेमल फाहों को 
चुनने में दिन यूँ 
लुट जाता है
कि अभी तो बस एक लम्हा गुज़रा 
और रात घिर आई 
कि दिल के आसमां पर  
तारों से टिमटिमाते सपनों की 
महफ़िल सज गयी है 
ये नादाँ दिल है 
कि डूब डूब जाता है 
बार बार
यादों के समंदर में । 
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ये हसीं रात हो के ना हो 

Thursday 13 July 2017

उम्मीद का चाँद


उम्मीद का चाँद
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जब जब मैंने चाहा  
कोई एक हो 
सावन बन बरस
भिगा दे तन मन
वो रूठा मानसून बन गया 
जब जब चाहा
कोई एक हो
बन धूप 
ठिठुरन से राहत दे 
वो शीत लहर बन गया
जब जब मैंने चाहा  
कोई एक हो 
छाया बन 
ताप से राहत दे 
वो लू सा चलने लगा 

पर हर नाउम्मीदी के चरम पर 
एक वो आता है 
कि बिन मौसम बरसात सा बरस 
मिटा देता अभाव के हर सूखेपन को 
कि सूरज बन टँक जाता मन के आकाश पर  
उष्मा सा फ़ैल
हर लेता निराशा की ठिठुरन 
कि समीर सा बहने लगता 
और सुखा जाता दुःख के हर स्वेद कण को 

वो जानता है 
कि नाउम्मीदी में उम्मीद का चाँद बन जाने से बेहतर
कहीं कुछ नहीं होता। 
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आ बैठे चल चर्च के पीछे