स्वप्न
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सुनो
तुम
देखना एक दिन
उधेड़ दूंगा तुम्हारे दुखों की सिवन को
और बिखेर दूंगा उन्हें कर चिंदी चिंदी सा
कि तुम्हारे शरीर पर सजा दूंगा
खुशियों को
गहनों सा
तुम्हारी आत्मा पर टांक दूंगा
अपने जज़्बातों को
सितारों सा
भर दूंगा तुम्हे प्रेम से
कि तुम महका करोगी
कस्तूरी सी
कि बिछ जाएगा प्रेम हमारे दरम्यां
पर्वत पर बर्फ की चादर सा
या फ़ैल जाएगा वनों की हरियाली सा
कभी बहेगा नदी के नीर सा
तो बरसेगा सावन की घटाओं सा
गर झरा तो
झरेगा हरसिंगार के फूलों सा
और दौड़ेगा धमनियों में लहू सा
कि अपने अहसासात के हर्फ़ों से
रच दूंगा एक प्रेम महाकाव्य
जिसे पढ़ेंगे
निर्जन वन प्रांतर में
बिछा के धरती
ओढ़ के आसमाँ
जोगन जोगी सा
कि उतर आएंगे किसी किताब के सफे पर
बन के
किसी किस्से कहानी के
हिस्से सा।
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ये किस्से कहानी क्या सच में सच होते होंगे !
इंतज़ार
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कुछ सूखे सूखे से हैं पत्ते
और झुकी झुकी सी डालियाँ
कुछ रूकी रुकी सी है हवा
और बहके बहके से कदम
कुछ मद्धम मद्धम सा है सूरज
और सूना सूना सा दिन
कुछ फीका फीका सा है चाँद
और धुंधली धुंधली सी रात
कुछ खाली खाली सी है शाम
और खोया खोया सा दिल
क्यों रोए रोए हैं ये सब
क्या कहीं खोया है मेरा सनम
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अक्सर ये इंतज़ार इतना मुश्किल क्यूँ होता है
उरूज पर जो हैं ना
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एक शोख़ शरारत करने का दिल करता है
ये जो तुम्हारे खूबसूरत से पाँव हैं ना
चुपके से छूकर
दिल की धड़कनें बढ़ाने का दिल करता है
एक शोख़ शरारत करने का दिल करता है
ये जो तुम्हारे नरम मुलायम से हाथ हैं ना
चुपके से छूकर
दिल के जज़्बात बेकाबू करने का दिल करता है
एक शोख़ शरारत करने का दिल करता है
ये जो तुम्हारी झील सी ऑंखें हैं ना
चुपके से छूकर
खुद को तुम में समा देने का दिल करता है
एक शोख़ शरारत करने का दिल करता है
ये जो तुम्हारे गुलाबी से होंठ हैं ना
चुपके से छूकर
तुममें घुल जाने का दिल करता है
ये जो मेरा ख्वाहिशों से भरा दिल है ना
और दिल में जो शोख शरारतें हैं ना
आखिर उरूज पर हैं ना
इसलिए कुछ करने का दिल करता है
कुछ होने का दिल करता है।
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ये दिल आखिर ख्वाहिशों से भरा क्यूँ होता है।