इस सर्द मौसम
तेरी याद की
भीनी भीनी खुशबू
घुल रही है सांसों में
नरम नरम धूप के
अहसास सी
समय की धार से
मन के उस पार
संघनित होती जाती
धुंध सी उदासी
आहिस्ता आहिस्ता
उड़ती जाती
भाप सी।
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यादों का मौसम से कोई रिश्ता तो नहीं